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शिव पर कविता

जीव विषाद हरो विषधारी,  कष्ट हरो प्रभु मंगल हारी.........
| शिव आराधना | हिंदी छंद | ओम नमः शिवाय | सवैया छंद


(ओम नमः शिवाय)


हे शिवशंकर हे नटनागर,

है महिमा करुणाकर  न्यारी।

                 पूजन की विधि ज्ञात नहीं मम ,

                 भाव समर्पित देव पुरारी।।

मानव देव चले शिव मंदिर ,

शरणागत मंगलकारी।

                  व्याधि हरो अभिमान हरो शिव,

                  जीव विषाद हरो विषधारी।।




 

चंद्र ललाम करे सिर धारण ,

गंग विराट समेट जटा में ।

             नाथ त्रिलोक लपेट चले तन,

              भस्म भभूत त्रिशूल लटा में।।

सत्व उमामय णत्व शिवोहम,

भूषित चर्म अकाम छटा में ।

               शंख निनाद  समाधि करे निज,    

                गूँज उठे जयकार घटा में।।



पावन धाम करें शिव पूजन ,

शोभित नाग रमे त्रिपुरारी ।

               ज्योति जला अभिषेक करें जल ,

               धार सुपावन है शशिधारी।।

हे शशिशेखर हे नटनागर,

 वंदन करते सब ही नर नारी।

                 हे गिरिजापति दीनदया कर , 

                 कष्ट हरो प्रभु मंगल हारी।।



कवयित्री: ©
श्रीमती प्रीति शर्मा 
रीवा (मध्य प्रदेश)

परिचय: कच्ची मिट्टी को आकार देने के लिए निरंतर प्रयास रत कलम, रीया, मध्यप्रदेश में एक शिक्षिका के साथ-साथ, अपनी बेहतरीन रचनाओं के लिए सम्मानित कवयित्री- श्रीमती प्रीति शर्मा। 

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(नोट: यह एक कॉपी राइट © कविता है। अतः किसी की प्रकार के व्यापारिक इस्तेमाल से पहले सम्बंधित कवि/कवयित्री से अनुमति लेना अनिर्वाय हैं।) 

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शिव पर कविता शिव पर कविता Reviewed by Mahesh Kumar on 3/04/2023 11:17:00 am Rating: 5

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