शिव पर कविता
हे शिवशंकर हे नटनागर,
है महिमा करुणाकर न्यारी।
पूजन की विधि ज्ञात नहीं मम ,
भाव समर्पित देव पुरारी।।
मानव देव चले शिव मंदिर ,
शरणागत मंगलकारी।
व्याधि हरो अभिमान हरो शिव,
जीव विषाद हरो विषधारी।।
चंद्र ललाम करे सिर धारण ,
गंग विराट समेट जटा में ।
नाथ त्रिलोक लपेट चले तन,
भस्म भभूत त्रिशूल लटा में।।
सत्व उमामय णत्व शिवोहम,
भूषित चर्म अकाम छटा में ।
शंख निनाद समाधि करे निज,
गूँज उठे जयकार घटा में।।
पावन धाम करें शिव पूजन ,
शोभित नाग रमे त्रिपुरारी ।
ज्योति जला अभिषेक करें जल ,
धार सुपावन है शशिधारी।।
हे शशिशेखर हे नटनागर,
वंदन करते सब ही नर नारी।
हे गिरिजापति दीनदया कर ,
कष्ट हरो प्रभु मंगल हारी।।
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