भय को भी भय यहाँ, पग को टिकाएं कहाँ। जमते कदम मि..| हिन्दीकविता | काव्यपत्र | कवितछंद | प्रेरक_कविता भूमिका: नेक राह पर चल, बार बार देखा मै...
शैतान
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Mahesh Kumar
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4/29/2022 06:00:00 am
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5
पग-पग खड़ी चुनौतियाॅं, लेकर पीर अपार। जीवन-पथ में तू मगर, पथिक न जाना हार।।। | दोहे | हिंदी कविता| भूमिका: भीतर अपने बूँद को, रखती जैसे सीप...
अक्षर दीप
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Mahesh Kumar
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3/03/2022 07:33:00 am
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दरिया से क्यों डरता हाथी, जबतक तिनका हाथ। |हिंदी कविता भूमिका: हमकों खरीदेगा जमाना? हम बिकते ही नहीं। खुशहाल तराना हम से हैं, हम खुशियों स...
बुरें-भलें हालात
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Mahesh Kumar
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2/19/2022 10:01:00 pm
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5