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बदलता युग

क्षण में छन निकला...  हिंदी कविता| स्वास्थ| बदलता युग| बदलाव पर कविता| विकास किसे कहते हैं

परिवर्तन पर कविता
ठिठुरती थी सर्दी या,
जंग दहाड़ती गर्मी।
मिल-झूल मिल कर,
करते थे काम जी।

खून तप-टप कर,
क्षण में छन निकला।
मेहनत का कर्म था,
पसीना ईनाम जी।

मोटापा, शुगर तेज,
रक्तचाप व तनाव।
पत्थरी तक तकते,
सारे सूने धाम जी।



कैसा ये विकास हुआ,
काया का विनाश हुआ।
रोगों से भरा ये तन,
तन हुआ जाम जी।



संचारित देश होया,
आचारित रंग खोया।
बैठ घर-कमरे में,
करलो आराम जी।


अर्थ-ज्ञान दाम हुआ,
खेल भी हराम हुआ।
मतपुछ युवा मेरे,
क्यों न मिला काम जी।

बाजार चँचल होया,
खर्चा मखमल होया।
बच्चे हाथ लूट गए,
बाप सरे आम जी।


किस पर दोष धरे,
मिट रहे लोग खरे।
फोन सारे दिन दौड़े,
काहें का विराम जी।।

मेहनत का कर्म था,
पसीना ईनाम जी।
                       (घनाक्षरी छन्द)

कवि की आवाज में सुनिए (काव्यस्वर):

युवा कवि: ✍️
महेश कुमार (हरियाणवी)
ट्विटर: @mk_Poems


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बदलता युग बदलता युग Reviewed by Mahesh Kumar on 12/04/2021 08:20:00 am Rating: 5

18 टिप्‍पणियां

  1. प्रेरक जन पीड़ा को दर्शाती उत्कृष्ट रचना

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    उत्तर
    1. आपका धन्यवाद मंजुल जी 🙏

      बाजारवाद, महामारी एवं मोबाइल, इन तीनों की रफ्तार में कही कोई स्पीडब्रेकर तक भी दिखाई नहीं दे रहा हैं।
      वही दूसरी और इंसान की महेनत, पसीना, स्वास्थ, खेल एवं रोजगार की रफ्तार धीरे-धीरे दम तोड़ती हुई सी प्रतीत होती हैं। 🙏

      परिवर्तन को प्रगति का प्रतीक माना जाता हैं। लेकिम परिवर्तन की सार्थकता का अवलोकन भी समाज को मिलकर ही करना होगा।

      अगर कुछ कमी हैं तो हम सब को विचार भी अवश्य ही करना चाहिए।

      हटाएं
  2. बहुत अच्छी रचना👏👏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद अमरेश यादव जी!

      बदलते दौर व बदलते मायनों से साथ या की वजह से अस्तित्व में आती कुछ चुनिंदा चुनोतियों का काव्यात्मक विश्लेषण करने का प्रयास एक प्रयास किया हैं।
      प्रयास कितना सफल हुआ ये तो आखिर आप सब मित्र, प्रिय व माननीय को ही निर्धारित करता हैं। 🤝

      हटाएं
  3. बहुत अच्छा लिखा आपने, शब्दों पर अच्छी पकड़ है आपकी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ध्न्यवाद कृष्णा जी 🙏

      आप सब का स्नेह एवं सुझाव हमें निरंतर आगे बढ़ने रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
      बदलते दौर पर आप के सकारात्मक विचार जानकर अच्छा लगा।

      कृप्या काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहें। 🤝

      हटाएं
  4. लाजवाब रचना 👏👏👏👏👏👏
    एक-एक शब्द को उसके उचित स्थान पर बिल्कुल भावनात्मक एवं काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया हैं। ✍️✍️✍️✍️

    जनकल्याण एवं जनपीड़ा के विषयों को ऐसे ही लिखते रहिएगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद जी! आप के अति स्नेह एवं व्याख्यात्मक अवलोकन के लिए दिल से धन्यवाद।✍️✍️

      आप की प्रतियां हमारे लिए हमारे लिए विशेष हैं। 🙏

      काव्यपत्र पर पधारने के लिए धन्यवाद।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आप की प्रतिकिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद राज जी 🙏🙏
      काव्यपत्र के साथ निरंतर बनें रहे। 🤝

      हटाएं
  6. मेहनत का कर्म था
    पसीना ईनाम जी...बहुत सुन्दर
    बहुत सुंदर तरीके से आज के मनुष्य की दिनचर्या और उसके दुष्प्रभाव को दर्शाया आपने

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बदलते युग नामक इस कविता पर आप का समर्थन एवं सहयोग हमारे लिए अमूल्य हैं।
      निश्चित तौर पर यह काफी आश्चर्यजनक लगत हैं कि देश की एक बहुत बड़ी आबादी को कभी-कभार पसीना अगर आ भी जाता है तो वह गर्मी की वहज से। मेहनत की वजह से आने वाले पसीने से कुछ लोग बिल्कुल अंजान हैं।
      व्यायाम भी होता है तो AC वाले कमरे हैं।

      अतः आपके समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! 🙏
      काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहें। 🤝

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. बदलता युग नामक कविता पर आप की इस स्नेह पूर्ण प्रतिकीया के लिए हम आप के आभारी हैं।
      धन्यवाद!

      कृप्या काव्यपत्र के साथ बने रहे।

      हटाएं
  8. बोहोत अच्छी कविता ह भाई , आज के समाज में
    भाईचारा बिलकुल खत्म हो गया ह .. और सब दिखावे का जीवन जीने में विस्वास करने लगे ह ❣️❣️

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद मित्र

      काव्यपत्र पर प्रकाशित कविताओं का अध्ययन करने तथा कवि का हौशला बढ़ाने के लिए खासतौर पर 'बदलता युग' नामक कविता पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

      काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहे। 🙏

      हटाएं
  9. बदलते युग पर बहुत सुन्दर व सटीक काव्य रचना।
    उम्दा शब्द व भाव संयोजन👍

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    उत्तर
    1. बदलता_युग नामक हिंदी कविता के संदर्भ में, अपने उपयोगी वक्त तथा सुझाव से हमें अवगत एवं निखरती कलम का उत्साहवर्धन करने के लिए आप का अति-आभार 🙏।

      कृप्या, काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहे।

      हटाएं

कृप्या, उपरोक्त कविता के प्रति अपने विचारों से अवगत कराएं तथा पृष्ठ के अंत मे जाकर काव्यपत्र को फॉलो करें। 🙏

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