पहचान किस क़फ़न में कौन है? आज धड़कनें मौन हैं। | कोरोना कविता|
आज बिखरे शवों पर धरती माँ क्यों मौन है?
क़फ़न हटा पहचान किस क़फ़न में कौन है?
कभी खेला करते थे जो तेरे आँचल के तले
आज तेरे वो बाल सभी क्यों हो गए मौन हैं?
उखड़ती रहीं साँसें और भटके वो तड़पकर
अंतिम इच्छा साँस थी, आज धड़कनें मौन हैं।
आपदा प्रबंधन के समय कुछ अवसर देखते
लाशों के ढ़ेर पर इनकी अंतरात्मा क्यों मौन है?
सस्ती राजनीति ने समझी सस्ती सबकी जान
आज दोषारोपण में ढूँढते जिम्मेदार कौन है?
©डॉ. रश्मीत कौर
ग़ैरों से दूर थे कब से, अपनों से भी दूर हो गए
बहुत ज़रूरी है ये सोचकर हम मजबूर हो गए।
खुली हवा के ज़हर में आज साँस लेना मौत है
ख़ुदा बता इंसानों से ऐसे क्या कुसूर हो गए?
अकेलापन ही अकेलापन अब हिस्से में सबके
बन्द कमरों में रहने के ज़िंदगी के दस्तूर हो गए।
मर्ज़ से पहले ही आज कर रहा हर कोई इलाज
पर चेहरे फ़िर भी मायूस और बे-मक़्दूर हो गए।
ज़िन्दगी बचाने की कोशिश चल रही हर तरफ़
पर ज़ख़्म इतने मिले कि वो सारे नासूर हो गए।
© डॉ. रश्मीत कौर
युवा कवयित्री:
डॉ. रश्मीत कौर
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली
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जिम्मेदार कौन है?
Reviewed by Mahesh Kumar
on
1/15/2022 10:51:00 am
Rating:
यथार्थ को दर्शाती मार्किम एवं दृश्यात्मक काव्य रचनाएँ 👏👏
जवाब देंहटाएंजिम्मेदार कौन हैं? नामक कविता के प्रति अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए, आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआधुनिक कविताओं का आनंद लेने के लिए काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहे।
हम अपनी रचनाएं काव्य पत्र में प्रकाशित करवाना चाहते हैं, हम जानना चाहते हैं कि क्या हमारी रचनाओं के प्रकाशन के पश्चात हमें काव्य पत्र की तरफ से क्या कोई सम्मान निधि प्राप्त होगीl
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