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माँ मेरी माँ

जिस आँचल के दूध तले, इस जीवन की आस पले।.. । माँ । हिंदी कविता । मेरी माँ। काव्ययपत्र


भूमिका

पवित्रता में दुनिया का सबसे छोटा शब्द है "माँ"। जो अपने आप में स्वयं ही, स्वयं की एक परिभाषा हैं।

कवि ने इस रचना में, पूज्य माँ की महिमा का उल्लेख करने का एक यथासंभव प्रयास किया हैं।


(माँ)


थाम के दुःख का दामन
जो दुनिया दिखलाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है
हर दुखड़े हर जाती हैं।


जिस आँचल के दूध तले
इस जीवन की आस पले।
ला, गोद धरी थी दुनिया
सपने थे आकाश घले।



वो सीख भली आदत की,
जो हरदम जितवाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है
हर दुखड़े हर जाती हैं।


जीवन से जिसकी यारी,
कितनों की जिम्मेदारी।
संस्कारों को पाल रही,
बन लोक-लाज की नारी।




भलें करे हम गलती पर
वो पल-पल अपनाती है।
सच, माँ तो केवल माँ है
हर दुखड़े हर जाती हैं।


बढ़ते कदम देख के माँ
मंद-मंद मुस्काती है।
गिर न जाए लाल मेरा
कह, थोड़ा सकुचाती हैं।



शिकवों का तो नाम नहीं
वो ममता बरसाती है।
सच, माँ तो केवल माँ है
हर दुखड़े हर जाती हैं।


थाम के दुःख का दामन
जो दुनिया दिखलाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है
हर दुखड़े हर जाती हैं।।


वीडियो में देखें और सुने:



युवा कवि: ©
महेश कुमार (हरियाणवी)
महेंद्रगढ़, +91-9015916317


परिचय: महेश कुमार यादव, ईश्वर के नाम से अपने नाम की शुरुआत करने वाले अनोखे प्रदेश हरियाणा के एक बहुत ही शांत, पुराने तथा कृषि प्रधान जिला महेंद्रगढ़ के रहने वाले है। 
इनकी कलम अकसर मानवीय चेतना तथा सवेंदनाओं पर चलना अत्यधिक पसंद करती हैं।
                                                

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माँ मेरी माँ माँ मेरी माँ Reviewed by Mahesh Kumar on 7/06/2022 08:56:00 pm Rating: 5

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