दरिया से क्यों डरता हाथी, जबतक तिनका हाथ। |हिंदी कविता
भूमिका:
हमकों खरीदेगा जमाना? हम बिकते ही नहीं।
खुशहाल तराना हम से हैं, हम खुशियों से नहीं। ©
(हर इंसान अपने जीवन में बुरें तथा भलें हालातों का सामना जरूर करता हैं। और सच भी यही है कि हर हालात का समाधान अंततः इंसान स्वयं ही निकालता है।)
अच्छों का दे साथ।
बुरे स्वयं मर जायेंगे जब,
बदलेंगे हालात।
पथ कहाँ कब एक रहा रही,
हिलती-डुलती साख।
सूरज आखिर निकलेगा तो,
छट जाएगी रात।
आज तो तेरा साथ हैं ना,
कल की कल हो बात।
साँसों में ढ़लता जीवन हैं,
जलती जाए बात्त।
कितनो को सुख-चैन मिला हैं,
कितने देते जात।
कितने अब भी खेल रहे हैं,
अपनी-अपनी बात।
खाया खाना, हुआ न जाया?
पोषण करती आंत।
अश्वन संग रुकना नहीं ले,
भावों की बारात।
दरिया से क्यों डरता हाथी?
जबतक तिनका हाथ।
अंधकार गहराया लेकर,
तारों की सौगात।
सब्जी पैदा होगी माली,
पहले कर शुरुआत।
तेरे कदम हैं कीमत तेरी,
कर कांधे हालात।
अच्छी बातें अच्छी लगती,
अच्छों का दे साथ।
बुरे स्वयं मर जायेंगे जब,
बदलेंगे हालात।। ©
(सरसी छन्द)
युवा कवि: ©
महेश कुमार (हरियाणवी)
ट्विटर: @mk_poems
परिचय: महेश कुमार यादव, ईश्वर के नाम से अपने नाम की शुरुआत करने वाले अनोखे प्रदेश हरियाणा के एक बहुत ही शांत, पुराने तथा कृषि प्रधान जिला महेंद्रगढ़ के रहने वाले है।
इनकी कलम अकसर मानवीय चेतना तथा सवेंदनाओं पर चलना अत्यधिक पसंद करती हैं।
💐💐💐
बुरें-भलें हालात
Reviewed by Mahesh Kumar
on
2/19/2022 10:01:00 pm
Rating:
Bhut hi babiya....bhut accha lega
जवाब देंहटाएंबुरें-भलें हालात नामक इस रचना पर अपनी प्रतिकिया देने के लिए धन्यवाद मित्र 🙏।
हटाएंकाव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहे।
कर कांधे हालात! 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बेहतरीन कला के साथ, साधारण तरीके से प्रारंभ कर जिस ऊँचाई तक कविता को पहुँचाया है वह वास्तव में अति-उत्तम है।
पढ़कर आंनद आया और खुशी हुई कि कविता आज भी जिंदा हैं। 👏
इस प्रकार से सूझबूझ के साथ दी जाने वाली अमूल्य प्रतिकीयाएँ ही कलमकार के लिए प्राण पुनरावर्ती का कार्य करती हैं।
हटाएं'बुरे-भले हालात'नामक इस कविता पर एक स्नेहपूर्ण प्रतिकीया देने के लिए धन्यवाद।
काव्यपत्र के साथ निरंतर बने रहें। 🙏